Wednesday, November 14, 2018

अपने साथ हुए बलात्कार को छुपाना चाहते हैं रेप पीड़ित?

वो 16 बरस की थी और उसका साथी 40 साल का. लड़की ने ख़ुद को समझाया कि ये रोमांटिक अफ़ेयर है.
लेकिन, जब दोनों साथ होते, तो लड़की का शरीर और दिमाग़ अजीबो-ग़रीब बर्ताव करता.
कई बार लड़की ये सोचती कि वो अपने शरीर से जुदा है.
उसका शरीर जब भी अपने साथी को देखता तो कांपने लगता था. ये कंपकंपी क़रीब आने वाली नहीं, ज़लज़ला आने जैसी थी.
लड़की को ऐसे तजुर्बे पहले नहीं हुए थे.
लेकिन, वो इससे पहले कभी अपने से इतनी ज़्यादा उम्र वाले शख़्स के साथ संबंध में नहीं रही थी.
लड़की ने सोचा शायद वयस्क लोगों के साथ ऐसा ही होता होगा. उसने ख़ुद को समझा लिया और अपने दर्द को परे धकेल दिया.
ये कहानी है अमरीका की रहने वाली मरीसा कोर्बेल की.
मरीसा को ये समझने में दस साल लग गए कि असल में उसका साथी उसके साथ यौन संबंध नहीं बना रहा था, बल्कि उसका बलात्कार कर रहा था.
अब मां बन चुकी कोर्बेल को उस तजुर्बे से पीछा छुड़ाने में कई साल लग गए. मानसिक इलाज कराना पड़ा.
अब वो यौन हिंसा की शिकार लड़कियों की मदद करने वाली वक़ील बन गई है.
आज भी मरीसा कोर्बेल उस तजुर्बे को याद कर के उन लड़कियों का दर्द समझने की कोशिश करती हैं, जिनकी वो मदद करना चाहती हैं.
मरीसा कोर्बेल के लिए वो अनुभव बहुत तकलीफ़देह था.
वैसे, अपने साथ हो रहे बलात्कार से इनकार करने वाली मरीसा कोर्बेल इकलौती महिला नहीं हैं. कई रिसर्च के निचोड़ पर नज़र डालें, तो पता चलता है कि 14 बरस या इससे ज़्यादा उम्र की जो लड़कियां ज़बरदस्ती की शिकार हुईं, उनमें से 60 प्रतिशत ने इसे बलात्कार मानने से इनकार कर दिया.
अक्सर बलात्कार के पीड़ितों को इस बात को ख़ुद को समझाने में काफ़ी वक़्त लग जाता है कि उनके साथ रेप हुआ.
ऐसी घटनाओं के शिकार लोगों को ज़बरदस्त मानसिक आघात लगता है. उन्हें इससे उबरने में ही वक़्त लग जाता है.
इंग्लैंड में बलात्कार पीड़ितों की मदद के लिए चलाई जाने वाली संस्था रेप क्राइसिस इंग्लैंड में मदद मांगने के लिए पहुंचने वालों का एनालिसिस बताता है कि 75 फ़ीसद पीड़ित घटना के एक साल या इससे भी ज़्यादा वक़्त के बाद मदद मांगने के लिए पहुंचे.
इस बात की कई मनोवैज्ञानिक और सामाजिक वजहें हैं कि ये लोग इतनी देर से ये एहसास कर पाए कि उनके साथ ज़बरदस्ती हुई है.
बहुत से लोगों को रेप को लेकर ग़लतफ़हमी है. बलात्कार क्या होता है, इसकी हर देश में परिभाषा अलग है.
अमरीका में तो कई राज्यों में ही इस तरह का फ़र्क़ है. अमरीका के मिसौरी राज्य में सहमति से सेक्स की उम्र 14 साल है, तो पड़ोस के इलिनॉय राज्य में ये 17 बरस है.
क़ानूनी ग़लतफ़हमियों के साथ बलात्कार को लेकर अलग-अलग समाज में अलग तरह की धारणाएं भी पीड़ितों को आगे आने का साहस जुटाने से रोकती हैं.
बलात्कार को लेकर आम धारणा है कि एक मर्द किसी अंधेरी गली से गुज़रती लड़की से ज़बरदस्ती करता है.
जब भी कोई यौन हिंसा की घटना इससे इतर होती है, तो लोग उसे बलात्कार कहने से कतराते हैं.
हक़ीक़त ये है कि बलात्कार के आरोपी अक्सर अनजान लोग नहीं, बल्कि जान-पहचान वाले होते हैं.
बलात्कार के वक़्त अक्सर पीड़ित होश खो बैठते हैं, तो वो प्रतिरोध नहीं कर पाते हैं. ये लकवे वाली हालत होती है. इसमें पीड़ितों की सहमति नहीं होती. मगर, उनका विरोध न करना, सहमति मान लिया जाता है.
'अलगाव' भी बलात्कार के दौरान होने वाला तजुर्बा होता है. जब पीड़ितों को ये लगता है कि वो शारीरिक रूप से बलात्कार से बच नहीं सकते, तो वो ज़हनी तौर पर ख़ुद के शरीर से दूरी बनाने की कोशिश करते हैं. ये मनोवैज्ञानिक रूप से बच निकलना होता है.
इससे वो तकलीफ़ फ़ौरी तौर पर तो कम हो जाती है. मगर फिर पीड़ित उस सदमे से उबर नहीं पाता, या उबरने में वक़्त लेता है. मरीसा कोर्बेल के साथ यही हुआ था. फिर समाज में बलात्कार पीड़ितों को लेकर जो सोच है, उसकी वजह से भी लोग ख़ुद को बलात्कार का पीड़ित बताने से कतराते हैं.